___________________________________________________
इतना सच्चा हो हमारा विश्वास,
हमारे हृदय में ” श्री राम” सदा करे वास.
नियत अच्छी हो तो, भक्ति भी सच्ची होती हैं,
भगवान हर हृदय में हैं, घरो में रखने की जरूरत नही होती हैं.
पांच पहर काम (कर्म) किया, तीन पहर सोए,
एको घड़ी न हरी भजे तो मुक्ति कहाँ से होए
बैरागी बने तो जग छूटे,
सन्यासी बने तो छूटे तन,
कान्हा (कृष्ण) से प्रेम हो जाये
तो छूटे आत्मा के सब बन्धन.
देवो के देव, महादेव आपसे हैं विनती,
मेरी भी हो, आपके ख़ास भगतो में गिनती.
शिव से ही श्रृष्टि हैं, शिव से ही शक्ति हैं,
अति आनन्द सिर्फ़ शिव भक्ति हैं.
जो कुछ हैं तेरे दिल में, सब उसको ख़बर हैं,
बन्दे तेरे हर हाल पर भगवान् शिव की नज़र हैं.
सागर मथ के सभी देवता अमृत पर ललचाए
तुम अभ्यंकर विष को पीकर नीलकंठ कहलाए
Social Plugin