Type Here to Get Search Results !

राम पर शेर, राम पर शायरी, राम भजन शायरी, राम पर दोहे....?


 

पतित पावनी सरस लुभवानी करुण सकल गुणधाम की।

यह चरित कलियुग पापमोचन पूण्य कथा श्री राम की।।

माघ मास मकर राशि
सूर्य देव का राज हुआ
कुम्भ पर्व का साक्षी तब
तीरथराज प्रयाग हुआ।
देव यक्ष गंधर्व पितर
नागवंश मनुज मुनि किन्नर
स्नान करे गुणगान करे
प्रभु गुण सकल बखान करे।

एक बार की बात पुरानी
स्नान कियो सब मुनि गुण ज्ञानी
मास मकर सब जन समुदाय
स्नान किये निज धाम सिधाए
याज्ञवल्क्य मुनि परम विवेकी
भरद्वाज रोके पद टेकी।
पूजन किये प्रभु चरण पखारे
चरणोदक लिए भए सुखारे।

हाथ जोड़ बोले प्रिय वाणी
मैं लघुमति मैं अति अज्ञानी
संसय मोर भयो अति भारी
कहूँ मुनिवर अति सोच बिचारि
राम नाम जो जपत महेसा
सोही राम क्या सुत अवधेसा?
बन बन फिरे विरह में नारी
क्रोध भए तब रावण मारि।

याज्ञवल्क्य मुनि मन मुस्काई
भारद्वाज की किये बड़ाई
कहे तात तुम हो बड़भागी
रामचिरत के अति अनुरागी
सुनो कहत हूँ पुनि एक बारा
सती भगवती का भरम अपारा
यही संसय किय मातु भवानी
उत्तर जेहि तुम चाहत ज्ञानी।

भारद्वाज के प्रश्न सुनि लिए मंद मुस्कान
याज्ञवल्क्य करने लगे सती-शिव कथा बखान।।



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad