मानसून पर टिकी सिंचाई

 


भारत में आधी खेती बारिश पर निर्भर है. मानसून अच्छा रहा तो पैदावार ज़्यादा होती है और ख़राब रहा तो यह घट जाती है. यूएन की एक हालिया स्टडी में कहा गया है कि देश में पिछले 60 साल में दो करोड़ 20 लाख कुएं खोदे गए.

देश के कई हिस्सों में पानी के लिए बहुत गहरी खुदाई करनी पड़ती है. पश्चिमी भारत में 30 फ़ीसदी कुएं बगैर इस्तेमाल के छोड़ दिए गए हैं क्योंकि ये पूरी तरह सूख चुके हैं. कई राज्यों में तो भूजल स्तर ख़तरनाक स्तर तक नीचे जा चुका है. राजस्थान और गुजरात में रेगिस्तान का इलाका बढ़ता जा रहा है.

वैज्ञानिक इन दिनों जल प्रबंधन पर काफ़ी जोर दे रहे हैं. वो छिड़काव और 'ड्रिप इरिगेशन' (बूंदों के ज़रिए होने वाली सिंचाई) की ज़ोरदार सिफ़ारिश कर रहे हैं.

इसराइल में सिंचाई का यह तरीका काफ़ी सफलतापूर्वक इस्तेमाल होता है. सिंचाई की इन तकनीकों का विकास भी इसराइल में ही हुआ है. इसमें कम पानी के इस्तेमाल से ही ज़्यादा पैदावार होती है.

ड्रिप इरिगेशन काफ़ी कारगर है. इससे बहुत अच्छे तरीके से फसलों तक पानी और पोषक तत्व पहुंचते हैं. इतना ही नहीं, सीधे पौधों की जड़ों वाले इलाकों में सही मात्रा और सही समय पर पानी और न्यूट्रिएंट्स पहुंचते हैं.

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