दरअसल भारत सरकार ने कोरोना वैक्सीन के दो टीके को मंज़ूरी दी है. एक है ऑक्सफ़ोर्ड एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन, जो भारत में कोविशील्ड नाम से बनाई गई है. और दूसरा है भारत बायोटेक की वैक्सीन- कोवैक्सीन.
जानकारों के मुताबिक़ भारत में वैक्सीन लगाने को लेकर हिचक की सबसे बड़ी दो वजहें थी. पहली वजह ये थी कि लोगों को ये तय करने का अधिकार नहीं था कि वो कौन सी वैक्सीन लगवाना चाहते हैं. चूँकि कोवैक्सीन की इमरजेंसी रेस्ट्रिक्टेड इस्तेमाल की इजाज़त दी गई है, इसलिए लोग कोवैक्सीन लगवाने को लेकर हिचक रहे थे.
लेकिन अब कोविशील्ड को लेकर भी एआईएमआईएम नेता असदउद्दीन ओवैसी केंद्र सरकार से सवाल पूछ रहे हैं - क्या 64 साल से अधिक उम्र वालों पर कारगर नहीं है कोविशील्ड वैक्सीन?
दूसरी वजह ये थी कि सरकार ख़ुद कह रही है कि कोविड-19 बीमारी होने के बाद रिकवरी रेट बहुत अच्छी है. 90 फ़ीसदी से ज़्यादा लोग ठीक हो रहे हैं. इस वजह से अब ज़्यादा लोग बेफ़िक्र हो जा रहे हैं कि वैक्सीन की ज़रूरत क्या है, कोरोना हुआ भी तो वो ठीक हो जाएँगे.
इसके अलावा कुछ लोग एडवर्स साइड इफ़ेक्ट्स की खबरें सुन कर भी टीका लगवाने से थोड़ा बच रहे थे.