डॉ. रमन गंगाखेड़कर का मानना है कि दूसरा डोज़ ना लेने वाले सिर्फ़ हिचक की वजह से ऐसा कर रहे हैं, ये पूरी तरह सच नहीं हैं.

 डॉ. रमन गंगाखेड़कर का मानना है कि दूसरा डोज़ ना लेने वाले सिर्फ़ हिचक की वजह से ऐसा कर रहे हैं, ये पूरी तरह सच नहीं हैं.

उन्होंने बताया कि मेडिकल जर्नल 'दि लैंसेट' में हाल ही में एक रिसर्च छपी है, जिसके मुताबिक़ ऑक्सफ़ोर्ड एस्ट्राजेनेका वैक्सीन 12 हफ़्ते तक ली जाए, तो उसका असर बेअसर नहीं होता. यही सोच कर कुछ लोग भारत में वैक्सीन का दूसरा डोज़ नहीं ले रहे. ऐसा करने वालों में कोविशील्ड का पहला डोज़ लगवाने वालों की संख्या ज़्यादा है. भारत बायोटेक की वैक्सीन लगवाने वालों पर तो सरकार ख़ुद से ज़्यादा फ़ॉलोअप कर रही है क्योंकि तीसरे फेज़ की स्टडी का डेटा नहीं आया है. कोवैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की सशर्त इजाज़त दी गई है, इसलिए लगने के बाद भी उन लोगों का फ़ॉलोअप आगे भी जारी रहेगा.

डॉ. रमन गंगाखेडकर 'दि लैंसेट' में छपी जिस रिपोर्ट का हवाला दे रहे थे, वो 19 फरवरी को छपी थी. भारत में दूसरी डोज़ की वैक्सीनेशन ड्राइव 13 फरवरी को शुरू हो चुकी थी.

Today News

एक टिप्पणी भेजें

Your Answaer :

और नया पुराने