एम्स में ह्यूमन ट्रायल के प्रमुख डॉ. संजय राय के मुताबिक़, "फ़िलहाल एडवर्स इफ़ेक्ट फ़ॉलोइंग इम्यूनाइज़ेशन के जो भी प्रोटोकॉल तय किए गए हैं, वो अब तक के ट्रायल डेटा के आधार पर हैं. लॉन्ग टर्म ट्रायल डेटा के आधार पर आमतौर पर ऐसे प्रोटोकॉल तैयार किए जाते हैं. लेकिन भारत में कोरोना के जो टीके लगाए जा रहे हैं, उनके बारे में लॉन्ग टर्म स्टडी डेटा का अभाव है. इसलिए फ़िलहाल जितनी जानकारी उपलब्ध है, उसी के आधार पर ये एडवर्स इफ़ेक्ट फ़ॉलोइंग इम्यूनाइज़ेशन प्रोटोकॉल तैयार किया गया है."
क्या हर टीकाकरण अभियान में एक जैसा ही एडवर्स इफ़ेक्ट होता है?
ऐसा नहीं है कि हर वैक्सीन के बाद एक ही तरह के एडवर्स इफ़ेक्ट देखने को मिले. कई बार लक्षण अलग-अलग भी होते हैं. ये इस बात पर निर्भर करता है कि वैक्सीन बनाने का तरीक़ा क्या है और जिसको लगाया जा रहा है उसके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कैसी है.
जैसे बीसीजी का टीका देने के बाद उस जगह पर छाला जैसा उभार देखने को मिलता है. उसी तरह से डीपीटी के टीके के बाद कुछ बच्चों को हल्का बुख़ार होता है. ओरल पोलियो ड्रॉप देने पर किसी तरह का एडवर्स इफ़ेक्ट देखने को नहीं मिलता है. इसी तरह से कोरोना का टीका - कोविशील्ड और कोवैक्सीन के एडवर्स इफ़ेक्ट भी एक जैसे नहीं भी हो सकते हैं.