Happy New Year Wishes in Hindi 2022 डॉक्टर लाल का कहना है कि भारत की मिट्टी को इसके स्वाभाविक उपजाऊ स्तर तक पहुँचने में एक या दो पीढ़ियाँ लग जाएंगीं. भारत में प्रति हेक्टेयर कृषि पैदावार 2.1 टन है. अगर हम अपनी मिट्टी की सेहत बरकरार रख पाएं तो यह दोगुनी हो सकती है. वो कहते हैं, "मैंने 1980 के दशक में अपनी मिट्टी को उपजाऊ बनाने की कोशिश में लगे कई चीनी वैज्ञानिकों को ट्रेनिंग दी थी. अब उन्होंने अपने यहाँ की मिट्टी को सेहतमंद बना कर यह लक्ष्य हासिल कर लिया है." किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंह डॉक्टर लाल से सहमत लगते हैं लेकिन उनका कहना है कि पंजाब और हरियाणा के खेतों में कुछ न्यूट्रिएंट्स वापस चले जाते हैं. वो कहते हैं "हम धान और गेहूँ के बीच कई किस्मों की दालें उगाते हैं. ये मिट्टी को काफ़ी पोषक तत्व देती हैं. हम इसके खर-पतवार और बची फसलों को मिट्टी में मिला देते हैं. इससे यूरिया कम लगता है." लेकिन पुष्पेंद्र सिंह यह भी मानते है कि इतना काफ़ी नहीं है. वो कहते हैं, ''डॉक्टर लाल की थ्योरी बिल्कुल सही है. लेकिन मिट्टी में दोबारा उसका पुराना उपजाऊपन लौटा लाना काफ़ी खर्चीला काम है.'' पुष्पेंद्र सिंह का मानना है कि किसानों से इसका ख़र्चा उठाने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. इसका खर्चा सरकार को उठाना चाहिए. वो कहते हैं, "पहले हम एक फसल लेने के बाद कुछ ज़मीन परती छोड़ देते थे. लेकिन आज दो या इससे ज़्यादा फसल लेनी पड़ती है क्योंकि खेती की लागत काफ़ी बढ़ गई है. अगर सरकार दूसरी फ़सल की कीमत हमें दे तो हम सिर्फ एक फ़सल की खेती करें. लेकिन क्या सरकार के पास इसके लिए बजट है?' Today News -मार्च 02, 2021 डॉक्टर लाल का कहना है कि भारत की मिट्टी को इसके स्वाभाविक उपजाऊ स्तर तक पहुँचने में एक या दो पीढ़ियाँ लग जा…